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Diwali 2014: Know The Tips For Getting Blessings Of Laxmi In Hindi

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Diwali 2014 Know how to worship Godess Laxmi

How to worship Godess Laxmi on diwali

Diwali (23 October), the best moment of the night to worship at the Mahalaxmi. Worship with the sharp aroma incense sticks, incense, perfume, Ashtgand Use. Also use red sandalwood. In connection with the recognition that the sharp aroma raincoat Lakshmi are pleased at our house.

In this method, according to the scriptures, the goddess is worshiped their guest as a sixteen items. When we relate to God in worship. Goddess and god is worshiped as a present. Called for the worship of God is the beginning of the method. Salagrama statue or other symbols such as the invocation of God, is Baneshwar gender or witch. Anyone who worship the deities of this method, which is occupied by Lakshmi is always at her house.

Tips For Getting Blessings Of Laxmi In Hindi on diwali

यहां जानिए लक्ष्मी कृपा पाने के लिए ऐसे ही छोटे-छोटे उपाय... यहां बताए जा रहे उपायों में से आप कई उपाय भी कर सकते हैं या सिर्फ कोई भी पांच उपाय भी कर सकते हैं।

- दीपावली की रात को अशोक वृक्ष के नीचे घी का दीपक लगाएं एवं वृक्ष का पूजन करें। अगले दिन उस वृक्ष की जड़ लेकर आएं तथा तिजोरी में रखें। धन की आवक बनी रहेगी।
- पांच जोड़ी गोमती चक्र को लाल वस्त्र में बांधकर घर की चौखट के ऊपर बांधने से धन संबंधी कामों में लाभ मिल सकता है।
- दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है। मां लक्ष्मी घर में आती हैं।
- दीपावली पर तेल का दीपक जलाएं और दीपक में एक लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें। किसी हनुमान मंदिर जाकर ऐसा दीपक भी लगा सकते हैं।
- रात को सोने से पहले किसी चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं और घर लौटकर आ जाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें।
- दीपावली के दिन अशोक के पेड़ के पत्तों से वंदनद्वार बनाएं और इसे मुख्य दरवाजे पर लगाएं। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी।
- कभी भी किसी भी बुजुर्ग इंसान का अपमान नहीं करना चाहिए और दीपावली के दिन विशेष रूप से उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद ग्रहण करें। ऐसा करने पर बड़ी-बड़ी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं।
- महालक्ष्मी के पूजन में पीली कौड़ियां भी रखनी चाहिए। ये कौडिय़ा पूजन में रखने से महालक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती हैं। आपकी धन संबंधी सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी।
- दीपावली की रात लक्ष्मी पूजा करते समय एक थोड़ा बड़ा घी का दीपक जलाएं, जिसमें नौ बत्तियां लगाई जा सके। सभी 9 बत्तियां जलाएं और लक्ष्मी पूजा करें।
- दीपावली की रात में लक्ष्मी पूजन के साथ ही अपनी दुकान, कम्प्यूटर आदि ऐसी चीजों की भी पूजा करें, जो आपकी कमाई का साधन हैं।
- दीपावली से यह एक नियम रोज के लिए बना लें कि सुबह जब भी उठें तो उठते ही सबसे पहले अपनी दोनों हथेलियों का दर्शन करना चाहिए।
- दीपावली के दिन घर से निकलते ही यदि कोई सुहागन स्त्री लाल रंग की पारंपरिक ड्रेस में दिख जाए तो समझ लें आप पर महालक्ष्मी की कृपा होने वाली है। यह एक शुभ शकुन है। ऐसा होने पर किसी जरूरतमंद सुहागन स्त्री को सुहाग की सामग्री दान करें।
- दीपावली की रात में लक्ष्मी और कुबेर देव का पूजन करें और यहां दिए एक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें।
मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा।
- महालक्ष्मी के पूजन में गोमती चक्र भी रखना चाहिए। गोमती चक्र भी घर में धन संबंधी लाभ दिलाता है।
-पूजा में लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और श्रीयंत्र रखना चाहिए। यदि स्फटिक का श्रीयंत्र हो तो सर्वश्रेष्ठ रहता है। एकाक्षी नारियल, दक्षिणावर्त शंख, हत्थाजोड़ी की भी पूजा करनी चाहिए।
- दीपावली से एक नियम हर रोज के लिए बना लें। आपके घर में जब भी खाना बने तो उसमें से सबसे पहली रोटी गाय को खिलाएं।
- शास्त्रों के अनुसार एक पीपल का पौधा लगाने वाले व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार को कोई दुख नहीं सताता है। उस इंसान को कभी भी पैसों की कमी नहीं रहती है। पीपल का पौधा लगाने के बाद उसे नियमित रूप से जल अर्पित करना चाहिए। जैसे-जैसे यह वृक्ष बड़ा होगा आपके घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती जाएगी, धन बढ़ता जाएगा। पीपल के बड़े होने तक इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए तभी आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त होंगे।
- दीपावली पर लक्ष्मी का पूजन करने के लिए स्थिर लग्न श्रेष्ठ माना जाता है। इस लग्न में पूजा करने पर महालक्ष्मी स्थाई रूप से घर में निवास करती हैं।
- दीपावाली पर श्रीसूक्त एवं कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। रामरक्षा स्तोत्र या हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ भी किया जा सकता है।
- किसी शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ध्यान रहें सभी चावल पूर्ण होने चाहिए। खंडित चावल शिवलिंग पर चढ़ाना नहीं चाहिए।
- अपने घर के आसपास किसी पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं। यह उपाय दीपावली की रात में किया जाना चाहिए। ध्यान रखें दीपक लगाकर चुपचाप अपने घर लौट आए, पीछे पलटकर न देखें।
- यदि संभव हो सके तो दीपावली की देर रात तक घर का मुख्य दरवाजा खुला रखें। ऐसा माना जाता है कि दिवाली की रात में महालक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों के घर जाती हैं।
- दीपावली की रात में हल्दी की 11 गांठ लें। इन्हें पीले कपड़े में बांध लें। घर के पूजन कक्ष में लक्ष्मी-गणेश के फोटो के सामने घी का दीपक जलाएं। चंदन-पुष्प आदि चढ़ाएं। इसके बाद यहां दिए गए मंत्र का जप 11 माला करें। मंत्र- ''ऊँ श्रीगणेशाय नम: का जप करें। इसके बाद पीले कपड़े में बंधी हुई हल्दी की गांठों को निकालें और धन के स्थान में रख दें।
-महालक्ष्मी को तुलसी के पत्ते भी चढ़ाने चाहिए। लक्ष्मी पूजा में दीपक दाएं, अगरबत्ती बाएं, पुष्य सामने व नैवेद्य थाली में दक्षिण में रखना श्रेष्ठ रहता है।
- लक्ष्मी पूजन के समय एक नारियल लें और उस पर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि अर्पित करें और उसे भी पूजा में रखें।
- दीपावली के दिन झाड़ू अवश्य खरीदना चाहिए। पूरे घर की सफाई नई झाड़ू से करें। जब झाड़ू का काम न हो तो उसे छिपाकर रखना चाहिए।
- इस दिन अमावस्या रहती है और इस तिथि पर पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने पर शनि के दोष और कालसर्प दोष समाप्त हो जाते हैं।
- एक बात का विशेष ध्यान रखें कि माह की हर अमावस्या पर पूरे घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई की जानी चाहिए। साफ-सफाई के बाद घर में धूप-दीप-ध्यान करें। इससे घर का वातावरण पवित्र और बरकत देने वाला बना रहेगा।
- दीपावली पर ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करते समय नहाने के पानी में कच्चा दूध और गंगाजल मिलाएं।
- स्नान के बाद अच्छे वस्त्र धारण करें और सूर्य को जल अर्पित करें। जल अर्पित करने के साथ ही लाल पुष्प भी सूर्य को चढ़ाएं।
- किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को अनाज का दान करें। अनाज के साथ ही वस्त्र का दान करना भी श्रेष्ठ रहता है।
- सप्ताह में एक बार किसी जरूरतमंद सुहागिन स्त्री को सुहाग का सामना दान करें। इस उपाय से देवी लक्ष्मी तुरंत ही प्रसन्न होती हैं और धन संबंधी परेशानियों को दूर करती हैं। ध्यान रखें यह उपाय नियमित रूप से हर सप्ताह करना चाहिए।
- पीपल के 11 पत्ते तोड़ें और उन पर श्रीराम का नाम लिखें। राम नाम लिखने के लिए चंदन का उपयोग किया जा सकता है। यह कार्य पीपल के नीचे बैठकर करेंगे तो जल्दी शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। राम नाम लिखने के बाद इन पत्तों की माला बनाएं और हनुमानजी को अर्पित करें।
- कलयुग में हनुमानजी शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं। इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए कई प्रकार उपाय बताए गए हैं। यदि पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो यह चमत्कारी फल प्रदान करने वाला उपाय है।
- शनि दोषों से मुक्ति के लिए तो पीपल के वृक्ष के उपाय रामबाण हैं। शनि की साढ़ेसाती और ढय्या के बुरे प्रभावों को नष्ट करने के लिए पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाकर सात परिक्रमा करनी चाहिए। इसके साथ ही शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक भी लगाना चाहिए।
-यदि कोई व्यक्ति दीपावली के दिन किसी पीपल के वृक्ष के नीचे छोटा सा शिवलिंग स्थापित करता है तो उसकी जीवन में कभी भी कोई परेशानियां नहीं आएंगी। यदि कोई भयंकर परेशानियां चल रही होंगी वे भी दूर हो जाएंगी। पीपल के नीचे शिवलिंग स्थापित करके उसकी नियमित पूजा भी करनी चाहिए। इस उपाय से गरीब व्यक्ति भी धीरे-धीरे मालामाल हो जाता है।
- प्रथम पूज्य श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करें। दूर्वा की 21 गांठ गणेशजी को चढ़ाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। दीपावली के शुभ दिन यह उपाय करने से गणेशजी के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
- दीपावली से प्रतिदिन सुबह घर से निकलने से पहले केसर का तिलक लगाएं। ऐसा हर रोज करें, महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।
- यदि संभव हो सके तो दीपावली पर किसी गरीब व्यक्ति को काले कंबल का दान करें। ऐसा करने पर शनि और राहु-केतु के दोष शांत होंगे और कार्यों में आ रही रुकावटें दूर हो जाएंगी।
- जो लोग धन का संचय बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें तिजोरी में लाल कपड़ा बिछाना चाहिए। इसके प्रभाव से धन का संचय बढ़ता है। महालक्ष्मी का ऐसा फोटो रखें, जिसमें लक्ष्मी बैठी हुईं दिखाई दे रही हैं।
- महालक्ष्मी के पूजन में दक्षिणावर्ती शंख भी रखना चाहिए। यह शंख महालक्ष्मी को अतिप्रिय है। इसकी पूजा करने पर घर में सुख-शांति का वास होता है।
- दीपावली के पांचों दिनों में घर में शांति बनाए रखें। किसी भी प्रकार का क्लेश, वाद-विवाद न करें। जिस घर में शांति रहती है वहां देवी लक्ष्मी हमेशा निवास करती हैं।
- दीपावली के दिन यदि संभव हो सके तो किसी किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी।
- उपाय के अनुसार दीपावली के दिन 3 अभिमंत्रित गोमती चक्र, 3 पीली कौडिय़ां और 3 हल्दी गांठों को एक पीले कपड़ें में बांधें। इसके बाद इस पोटली को तिजोरी में रखें। धन लाभ के योग बनने लगेंगे।
- महालक्ष्मी के मंत्र: ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:
इस मंत्र का जप करें। मंत्र जप के लिए कमल के गट्टे की माला का उपयोग करें। दीपावली पर कम से कम 108 बार इस मंत्र का जप करें।
- दीपावली पर श्रीयंत्र के सामने अगरबत्ती व दीपक लगाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें। फिर श्रीयंत्र का पूजन करें और कमलगट्टे की माला से महालक्ष्मी के मंत्र: ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: का जप करें।
- किसी भी मंदिर में झाड़ू का दान करें। यदि आपके घर के आसपास कहीं महालक्ष्मी का मंदिर हो तो वहां गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें।
- यदि धन संबंधियों परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो किसी भी श्रेष्ठ मुहूर्त में हनुमानजी का यह उपाय करें।
उपाय के अनुसार किसी पीपल के वृक्ष का एक पत्ता तोड़ें। उस पत्ते पर कुमकुम या चंदन से श्रीराम का नाम लिखें। इसके बाद पत्ते पर मिठाई रखें और यह हनुमानजी को अर्पित करें। इस उपाय से भी धन लाभ होता है।
- घर के मुख्य द्वार पर कुमकुम से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। द्वार के दोनों ओर कुमकुम से ही शुभ-लाभ लिखें।
-दीपावली के दिन श्वेतार्क गणेश की प्रतिमा घर में लाएंगे तो हमेशा बरकत बनी रहेगी। परिवार के सदस्यों को पैसों की कमी नहीं आएगी।
- दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजन पूर्ण होने पर हल्दी की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें, जहां धन रखा जाता है।
- महालक्ष्मी के चरण चिह्न से आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो सकती है और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। ज्योतिष के अनुसार लक्ष्मी के चरण चिह्न से अशुभ ग्रहों का बुरा प्रभाव भी कम होता है। इसके अलावा हमारे घर पर किसी की बुरी नजर नहीं लगती। सभी सदस्यों में पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है।
- यदि संभव हो सके तो इस दिन किसी तालाब या नदी में मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं। शास्त्रों के अनुसार इस पुण्य कर्म से बड़े-बड़े संकट भी दूर हो जाते हैं।
- घर में स्थित तुलसी के पौधे के पास दीपावली की रात में दीपक जलाएं। तुलसी को वस्त्र अर्पित करें।
-स्फटिक से बना श्रीयंत्र दीपावली के दिन बाजार से खरीदकर लाएं। श्रीयंत्र को लाल वस्त्र में लपेटकर तिजोरी में रखें। कभी भी पैसों की कमी नहीं होगी।
-दीपावली पर सुबह-सुबह शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल अर्पित करें। जल में यदि केसर भी डालेंगे तो श्रेष्ठ रहेगा।
- महालक्ष्मी के ऐसे चित्र का पूजन करें, जिसमें लक्ष्मी अपने स्वामी भगवान विष्णु के पैरों के पास बैठी हैं। ऐसे चित्र का पूजन करने पर देवी बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं।
- लक्ष्मी पूजन में सुपारी रखें। सुपारी पर लाल धागा लपेटकर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि पूजन सामग्री से पूजा करें और पूजन के बाद इस सुपारी को तिजोरी में रखें।

Deepawali 2014-How to worship malaxmi with mantras

diwali 2014 laxmi pujan mantras
Diwali 2014-Mahalaxmi mantras

Diwali 2014 celebration

Diwali is celebrated on Amavasya of the Kartik month (October 23, Thursday)of every year. Deepawali is the biggest festival of Hindus. On this day, the mother goddess of wealth Laxmi is worshiped. According to astrology auspicious day to provide measures very quickly. Maa Lakshmi Diwali sum of the measures are pleased to seeker and his wishes are fulfilled. Today we measure the amount you are told Diwali. These measures are very simple and unmistakable.

In ancient times the sea-churning were received from the fourteen gems. Lakshmi is one of the most unique gemstone. Lakshmi is the wife of Lord Vishnu as the selection. Lakshmi Kartik month when the moon had appeared from the sea. Rows of the dark moon night lights are lit at home, welcome and worship of Lakshmi. Starting from October 21 this year Deepotsv. Here Deepotsv the five nodes associated with the particular information in five days and the best time for Lakshmi Puja ...

House of worship on the day of Diwali is usually all. So pundits are rare. Mother Lakshmi Pandit, even without such times is to be worshiped. There are some work related to worship the same gods grace of worship is considered complete and the receiving end. Sodsopchar special importance in the worship of the 16 methods.

In this method, according to the scriptures, the goddess is worshiped their guest as a sixteen items. When we relate to God in worship. Goddess and god is worshiped as a present. Called for the worship of God is the beginning of the method. Salagrama statue or other symbols such as the invocation of God, is Baneshwar gender or witch. Anyone who worship the deities of this method, which is occupied by Lakshmi is always at her house.

The Name Of Astlaxmi & Pujan Mantra of Laxmi

There are eight forms of Mahalakshmi known as Sanatana Dharma. He has been called the Ashta Mahalaxmi. The meditation and worship, develops qualities of success in life. Ashta Mahalaxmi after a person's happiness can get all the pleasure. Here the Ashta Mahalaxmi mantra appearance and their worship ...

सनातन धर्म में महालक्ष्मी के आठ स्वरूप माने गए हैं। इन्हें अष्ट महालक्ष्मी कहा गया है। इनका ध्यान और पूजन जीवन में सफलता के गुण विकसित करता है। अष्ट महालक्ष्मी की प्रसन्नता के बाद व्यक्ति को सभी सुख प्राप्त हो सकते हैं। यहां जानिए अष्ट महालक्ष्मी के स्वरूप और उनके पूजन मंत्र...

1. द्विभुजा लक्ष्मी

इस रूप में लक्ष्मीजी की दो भुजाएं हैं। हाथ में कमल एवं समस्त आभूषणों से विभूषित दिव्य स्वरूपा लक्ष्मी को भगवान श्रीहरि के समीप प्रतिष्ठित कर उनका ध्यान निम्न श्लोक से करते हैं-

हरे: समीपे कर्तव्या लक्ष्मीस्तु द्विभुजा नृप।
दिव्यरूपाम्बजुजकरा सर्वाभरणभूषिता॥

2. गजलक्ष्मी

इस रूप में लक्ष्मीजी की चार भुजाएं मानी गई हैं। वे श्वेत यानी सफेद, शुभ्र वस्त्र धारण करती हैं और सिंहासन पर विराजमान रहती हैं। सिंहासन सुंदर कर्णिका से युक्त अष्टदल अर्थात आठ पंखुड़ियों वाले कमल के फूल वाला है। उनके दाहिने हाथ में कमल का फूल रहता है और बाएं हाथ में अमृत से भरा कलश। दो हाथों में बेल और शंख धारण किए हुए। उनके पार्श्व भाग में दो गजराज यानी हाथी और देवी के मस्तक पर कमल का फूल विभूषित रहता है। गजलक्ष्मी का ध्यान इस मंत्र से करें-

लक्ष्मी शुक्लाम्बरा देवी रूपेणप्रतिमा भुवि।
पृथक् चतुर्भुजा कार्या देवी सिंहासने शुभा॥
सिंहासनेऽस्या: कर्तव्यं कमलं यारुकर्णिकम्।
अष्टïपत्रं महाभागा कर्णिकायां सुसंस्थिता॥
विनायकवदासीना देवी कार्या चतुर्भुजा।
बृहन्नालं करे कार्ये तस्याश्च कमलं शुभम्॥
दक्षिणे यादवश्रेष्ठï केयूरप्रांतसंस्थितम्।
वामेऽमृतघट: कार्यस्तथा राजन् मनोहर:॥
तस्या अन्यौ करौ कार्यौ बिल्वशङ्खधरौ द्विज।
आवर्जितकरं कार्ये तत्पृष्ठे कुञ्जरद्वयम्॥
देव्याश्च मस्तके कार्ये पद्मं चापि मनोहरम्।

3. महालक्ष्मी

इस रूप में लक्ष्मीजी सभी आभूषणों से भूषित रहती हैं। उनके दाहिनी ओर के निचले हाथ में पात्र और उससे ऊपर वाले हाथ मे गदा रहती है। बाएं भाग के निचले हाथ में श्रीफल व ऊपर वाले हाथ में गदा रहती है। इनका ध्यान इस मंत्र के साथ किया जाता है-
लक्ष्मीवत्सा तदा कार्या सर्वाभरणभूषिता॥
दक्षिणाध:करे पात्रमूर्ध्वे कौमोदर्की तत:।
वामोर्ध्वो खेटकं चैव श्रीफलं तदध:करे॥
बिभ्रती मस्तके लिङ्ग पूजनीया विभूतये।

4. श्रीदेवी

इस रूप में भगवती के दाहिने एवं बाएं हाथ में पाश, अक्षमाला, कमल और अंकुश धारण किए हुए कमल के आसन (पद्मासन) पर विराजमान रहती हैं। उनका ध्यान इस मंत्र से किया जाता है-
पाशाक्षमालिकाम्भोजसृणिभिर्वामसौम्ययो:।
पद्मासनस्थां ध्यायेत श्रियं त्रेलोक्यमातरम्॥

5. वीरलक्ष्मी

ये भी पद्मासन अर्थात कमल पर विराजमान रहती हैं। इनके दोनों हाथों में कमल रहते हैं और नीचे के हाथों में वरद और अभयमुद्रा सुशोभित होती हैं। इनका ध्यान इस मंत्र से करें-
वीर लक्ष्मीरितिख्याता वरदाभयहस्तिनी।
उध्र्वपद्मद्वयौ हस्तौ तथा पद्मासने स्थिता॥

6. द्विभुजा वीरलक्ष्मी

इस रूप में महालक्ष्मी का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में तथा बायां हाथ वरद मुद्रा में रहता है। इनकी जांघें कमलदल के समान हैं। इनका ध्यान इस मंत्र से करें-
दक्षिणे त्वभयं बिद्धि ह्युत्तरे वरदं तथा।
ऊरू पद्मदलाकारौ वीरश्रीमूर्तिलक्षणम्॥

7. अष्टभुजा वीरलक्ष्मी

इनके हाथ पाश, अंकुश, अक्ष सूत्र, वरद मुद्रा, अभय मुद्रा, गदा, कमल और पात्र से युक्त रहते हैं। इनका ध्यान इस तरह किया जाता है-
पाशांकुशाक्षसूत्रवराभयगदापद्मपात्रहस्ता कार्या।

8. प्रसन्न लक्ष्मी

इस रूप में लक्ष्मीजी की आभा स्वर्ण के समान तेजस्वी है। ये सुनहरे रंग के वस्त्र धारण करती हैं तथा समस्त आभूषणों से सुशोभित हैं। इनके हाथों में बिजौरा, नीबू, स्वर्णघट और स्वर्णकमल रहते हैं। ये समस्त जीवों की माता हैं और भगवान विष्णु के बाएं अंग में स्थित रहती हैं। इनका ध्यान ऐसे करें-
वंदे लक्ष्मीं यपरशिवमयीं शुद्धजाम्बूनदाभां।
तेजोरूपां कनकवसनां सर्वभूषोज्ज्वलाङ्गीम्॥
बीजापूरं कनककलशं हेमपद्मं दधानां-
माद्यां शक्तिं सकलजननीं विष्णुवामाङ्कसंस्थाम्॥

Mahalakshami Pujan Method

शास्त्रों के अनुसार इस विधि में देवी या देवता को अतिथि मानकर सोलह वस्तुओं से उनका पूजन किया जाता है। पूजन में हम भगवान से संबंध स्थापित करते हैं। देवी व देवता को उपस्थित मानकर पूजा की जाती है। इस पूजा विधि का आरंभ भगवान के आवाहन से होता है। भगवान का आवाहन प्रतिमा या अन्य प्रतीक जैसे शालिग्राम, बाणेश्वर लिंग या सुपारी में किया जाता है। जो भी व्यक्ति इस विधि से देवी-देवताओं का पूजन करता है, उसके घर में सदैव लक्ष्मी का वास होता है।

पाद्य- भगवान के पैर धुलने की भावना से जल चढ़ाया जाता है।
अर्घ्य- केशर, चंदन, अक्षत यानी बिना टूटे चावल, फूल मिले जल से भगवान का स्वागत किया जाता है।
आचमन- भगवान को शुद्धि के लिए हाथ पर जल दिया जाता है।
स्नान- भगवान को शुद्ध जल से स्नान करवाया जाता है।
वस्त्र- स्नान के बाद भगवान को वस्त्र चढ़ाए जाते हैं। प्रतीक रूप में पूजा का धागा भी दिया जाता है।
आभूषण- भगवान को उनके स्वरूप के अनुरूप गहने व शस्त्र चढ़ाए जाते हैं।
गंध- भगवान का गंध द्वारा सत्कार करते हैं व उनके शरीर पर गंध लगाई जाती है।
अक्षत- बिना टूटे चावल पूजा कर्म के अखंड फल के प्रतीक के रूप में चढ़ाए जाते हैं।
पुष्प- भगवान को उनकी रुचि के ताजे फूल व मालाएं भेंट की जाती हैं।
धूप- सुगंधित धूप से भगवान को प्रसन्न किया जाता है।
दीप- दीप जलाकर भगवान को ज्योति दिखाई जाती है। भावना होती है कि दीपक के समान प्रकाशवान बनने की।
नैवेद्य- खाने की शुद्ध वस्तुएं फल आदि का भोग लगाया जाता है।
आचमन-तीन बार जल देकर भगवान से शुद्धि की प्रार्थना ही जाती है।
स्तव प्रार्थना- स्तुति कर दु:ख-विघ्न को समाप्त करने व सर्व कल्याण की प्रार्थना भगवान से जाती है।
आरती नमस्कार- षोडशोपचार पूजा का समापन आरती, मंत्र पुष्पांजलि व नमस्कार से होता है। आरती भगवान के स्वरूप के स्मरण के लिए है। अपनी इच्छाएं पुष्पों के साथ भगवान को समर्पित करना पुष्पांजलि है। नमस्कार के रूप में भगवान को अपना अहंकार समर्पित करना चाहिए।

रिचार्ज करता है षोडशोपचार

यह पूजा करने से हमारा भगवान से जुड़ाव होता है। इन विधियों द्वारा देवता का पूजन करने से हमारी आत्मशुद्धि होती है जिससे हमें ऊर्जा मिलती है। इस ऊर्जा से हमें सद्गुण और बेहतर आचार-विचार प्राप्त होते हैं। इस तरीके से हम षोडशोपचार से हम रिचार्ज होते हैं।

Guru Pushya 2014:गुरु पुष्य: जानिए लक्ष्मी पूजन की विधि, शुभ मुहूर्त व उपाय

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Constellation Pushya Krishna movement in favor of the Kartik month is considered very auspicious. Purchased the day of Pushya Nakshatra is particularly important because it is recognized that such purchases will remain useful for a long time and anything that is auspicious. The day of worship of the Goddess Lakshmi to dwell in the house of wealth is permanent. This time October 16, Thursday auspicious Pushya yoga guru has become. Thus the worship of Goddess Lakshmi on this day .
Clothes for the worship of the sacred seat of a post or install the idol of Goddess Mahalakshmi. Puja day to clean the house, take a sacred place of worship and self-devotedly pious reverence and to worship Mahalaxmi. Srimahalkshmiji Kesryukt in a clean vessel near the Statue of sandalwood lotus Ashtdl rupees by creating jewelry or both Rkenn and worship together. First, sprinkle water on the east or north-facing and self-worship by reading the contents of the following mantra Water Chidken-
ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में पुष्य नक्षत्र का आना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन खरीदी का विशेष महत्व है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु लंबे समय तक उपयोगी बनी रहती है तथा शुभ फल देती है। इस दिन यदि माता लक्ष्मी की पूजा की जाए तो घर में स्थाई रूप से धन-संपत्ति का वास रहता है। इस बार 16 अक्टूबर, गुरुवार को गुरु पुष्य का शुभ योग बन रहा है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा इस प्रकार करें-

जानिए लक्ष्मी पूजन की विधि

पूजन के लिए किसी चौकी अथवा कपड़े के पवित्र आसन पर माता महालक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करें। पूजन के दिन घर को स्वच्छ कर पूजा-स्थान को भी पवित्र कर लें एवं स्वयं भी पवित्र होकर श्रद्धा-भक्तिपूर्वक महालक्ष्मी का पूजन करें। श्रीमहालक्ष्मीजी की मूर्ति के पास ही एक साफ बर्तन में केसरयुक्त चंदन से अष्टदल कमल बनाकर उस पर गहने या रुपए भी रखेंं तथा एक साथ ही दोनों की पूजा करें। सर्वप्रथम पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके स्वयं पर जल छिड़के तथा पूजा-सामग्री पर निम्न मंत्र पढ़कर जल छिड़कें-
ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।
उसके बाद जल-अक्षत (चावल) लेकर पूजन का संकल्प करें-
संकल्प- आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, गुरुवार है। मैं जो कि अमुक गोत्र (अपना गोत्र बोलें) से हूं। मेरा अमुक नाम (अपना नाम बोलें) है। मैं श्रुति, स्मृति और पुराणों के अनुसार फल प्राप्त करने के लिए और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मन, कर्म व वचन से पाप मुक्त होकर व शुद्ध होकर स्थिर लक्ष्मी प्राप्त करने के लिए महालक्ष्मी की पूजा करने का संकल्प लेता हूं।
-ऐसा कहकर संकल्प का जल छोड़ दें।
अब बाएं हाथ में चावल लेकर निम्नलिखित मंत्रों को पढ़ते हुए दाहिने हाथ से उन चावलों को लक्ष्मी प्रतिमा पर छोड़ते जाएं-
ऊँ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ समिमं दधातु। विश्वे देवास इह मादयन्तामोम्प्रतिष्ठ।।
ऊँ अस्यै प्राणा: प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा: क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन।।

अब इन मंत्रों द्वारा भगवती महालक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें।
ऊँ महालक्ष्म्यै नम:- इस नाम मंत्र से भी उपचारों द्वारा पूजा की जा सकती है।
प्रार्थना- विधिपूर्वक श्रीमहालक्ष्मी का पूजन करने के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करें-
सुरासुरेंद्रादिकिरीटमौक्तिकै-
र्युक्तं सदा यक्तव पादपकंजम्।
परावरं पातु वरं सुमंगल
नमामि भक्त्याखिलकामसिद्धये।।
भवानि त्वं महालक्ष्मी: सर्वकामप्रदायिनी।।
सुपूजिता प्रसन्ना स्यान्महालक्ष्मि नमोस्तु ते।।
नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरिप्रिये।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात् त्वदर्चनात्।।
ऊँ महालक्ष्म्यै नम:, प्रार्थनापूर्वकं समस्कारान् समर्पयामि।
प्रार्थना करते हुए नमस्कार करें।

समर्पण- पूजन के अंत में कृतोनानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीयताम्, न मम।
- यह वाक्य उच्चारण कर समस्त पूजन कर्म भगवती महालक्ष्मी को समर्पित करें तथा जल छोड़ दें व माता लक्ष्मी से घर में निवास करने की प्रार्थना करें।

पुष्य नक्षत्र में लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त

सुबह 10:50 से दोपहर 12:25 तक
दोपहर 12:25 से दोपहर 01:50 तक
दोपहर 01:50 से दोपहर 03:20 तक
शाम 04:40 से शाम 06:10 तक
शाम 06:10 से शाम 07:40 तक
रात 07:40 से रात 09:20 तक
दोपहर 12:03 से दोपहर 12:50 तक - अभिजीत मुहूर्त

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Karwa Chauth 2014 -10 things you must remember on Karwa Chauth

Karwa Chauth 2014
Karwa Chauth
Karwa Chauth 2014

Importance of Karwa Chauth

Krishna Paksha of Kartik month Chaturthi is a festival celebrated on the date of Karwa Chauth. This time the festival Oct. 11, on Saturday. It also called Karak Chaturthi.इस दिन महिलाएं दिन भर उपवास रख कर शाम को भगवान श्रीगणेश की पूजा करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के दर्शन करती हैं और उसके बाद ही भोजन करती हैं। Karwa Chauth accomplishment at this time is called the yoga poses. This sum is to provide women prosperity.
According to astrology looking Chaturthi will be October 11 at 10.18 am in the morning. Karwa Chauth fast Wyapani date is the importance of the moon. Chaturthi Moonrise at the time of the evening will be provided by so fast. Siddhi Yoga 6:26 am and will start this morning, which will factor accomplishment provider and prosperity.
Udaykalin horoscope moon is high in the ascendant at that time. At a time when the moon is designed to Adhry. Receipt of funds and happiness factor is the moon. With its high amount and Udaykalin arghya the time and giving darshan of the moon leads to gain wealth and happiness. Moon rise in these particular formulations provides full health.

6 things womens must do on Karwa Chauth

Karwa Chauth is celebrated in October.Once again on the wedding day to protect married women aspire March Makeup fourth day of special significance for married women was considered. 16 things we need to do for women in Hinduism are considered married. माना जाता है कि ये 16 चीजें किसी भी स्त्री के सुहाग का प्रतीक होती हैं और जो स्त्री करवा चौथ के दिन ये 16 काम करती हैं, उनके पति की उम्र लंबी होती है और परस्पर प्रेम बढ़ता है.
1. Bindia - Suhagin women red dot on his forehead with kumkum or vermilion definitely should. It is considered a symbol of prosperity of the family.
बिंदी - सुहागिन स्त्रियों को कुमकुम या सिंदूर से अपने माथे पर लाल बिंदी जरूर लगाना चाहिए. इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
2.wrist bangles Suhagin traditionally believed that women should be filled with wrist bangles.
कंगन और चूड़ियां- हिन्दू परिवारों में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है कि सास अपनी बडी़ बहू को मुंह दिखाई रस्म में सुखी और सौभाग्यवती बने रहने के आशीर्वाद के साथ वही कंगन देती है, जो पहली बार ससुराल आने पर उसकी सास ने उसे दिए थे. पारंपरिक रूप से ऐसा माना जाता है कि सुहागिन स्त्रियों की कलाइयां चूड़ियों से भरी रहनी चाहिए.
3.Vermilion - Vermilion is considered a symbol of the wedding. After seven rounds of the bride and the groom fills demand means that she will play her lifetime. Therefore, the longevity of their husbands after marriage bride wish to fill with the everyday demands.
सिंदूर - सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है. सात फेरों के बाद जब दूल्हा-दुल्हन की मांग भरता है तो इसका मतलब होता है कि वह उसका साथ जीवन भर निभाएगा. इसलिए विवाह के बाद स्त्री को अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ रोज मांग भरना चाहिए.
4.Mascara - Mascara eye makeup. Besides increasing the beauty of the eyes. Also, mascara delivers from the evil eye. It is also considered a symbol of good luck in religious texts.
काजल - काजल आंखों का श्रृंगार है. इससे आंखों की सुंदरता तो बढ़ती ही है. साथ ही, काजल की बुरी नजर से भी बचाता है. इसे भी धर्म ग्रंथों में सौभाग्य का प्रतीक माना गया है.
5.Mehndi:-Mehndi is considered incomplete without embellishment. So the family Suhagin festival Rchati women have henna in your hands and feet. It is only then considered auspicious symbols of good luck. Also, henna is also good for the skin.
मेहंदी- मेहंदी के बिना सिंगार अधूरा माना जाता है. इसलिए त्योहार पर परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने हाथों और पैरों में मेहंदी रचाती है. इसे सौभाग्य का शुभ प्रतीक तो माना ही जाता है. साथ ही, मेहंदी लगाना त्वचा के लिए भी अच्छा होता है.
6.Red cloths:- Red fabrics added red wedding dress fitted wedding when the bride is considered auspicious.
लाल कपड़े- शादी के समय दुल्हन को सुसज्जित शादी का लाल जोड़ा पहनाना शुभ माना जाता है. शादी के बाद भी कोई त्योहार हो या कोई भी शुभ काम हो और घर की स्त्रियां लाल रंग के कपड़े पहने तो बहुत शुभ माना जाता है.
7.garland of flowers:-If a married woman with a garland of flowers scented bath and worship God every day is considered very auspicious. Lakshmi is said to be stable in the house is inhabited by doing so.
गजरा- यदि कोई सुहागन स्त्री रोज सुबह नहाकर सुगंधित फूलों का गजरा लगाकर भगवान की पूजा करती है तो बहुत शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में स्थिर लक्ष्मी का निवास होता है.
8.Gold jewelery The demand for gold jewelery worn in the heart of vermilion is graced with the beauty of a woman. It is also considered a symbol of good luck.
मांग टीका- मांग के बीचों बीच पहना जाने वाला यह स्वर्ण आभूषण सिंदूर के साथ मिलकर स्त्री की सुंदरता में चार चांद लगा देता है. इसे भी सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. नथ या कांटा- शादी के बाद यदि कोई स्त्री नाक में नथ या कांटा नहीं पहनती तो उसे अच्छा नहीं माना जाता है, क्योंकि इसे भी सौभाग्य से जोड़ कर देखा जाता है.
9.Earrings:- Jewelery worn in the ears come in many beautiful shapes. Shubta it is considered a symbol of married woman. Also, stay away from various diseases of ear piercings.
कान के गहने - कान में पहने जाने वाले आभूषण कई तरह की सुंदर आकृतियों में आते हैं. विवाहित स्त्री के लिए इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है. साथ ही, कान छेदन से कई बीमारियां भी दूर रहती हैं.
10.Necklace:- The gold beads necklace worn around the neck or a married woman's husband is considered a symbol of commitment. At the time of the wedding the bride's neck bridesmaid Glsutr (granular black pearl necklace which is intertwined with gold chains) award ceremony plays. This prompted her to be married. So sore wear necklace or mangalsutra is considered auspicious.
हार- गले में पहना जाने वाला सोने या मोतियों का हार पति के प्रति सुहागन स्त्री के वचनबद्धता का प्रतीक माना जाता है. शादी के समय वधू के गले में वर गलसूत्र (काले रंग की बारीक मोतियों का हार जो सोने की चेन में गुंथा होता है) पहनाने की रस्म निभाता है. इसी से उसके विवाहित होने का संकेत मिलता है. इसलिए गले में हार या मंगलसूत्र पहनना शुभ माना जाता है.
11.Armlet:- This ornament of gold or silver bracelet is the same shape. It is lined entirely in arms, why is it called armlets. Married women at any festival or ceremony is considered auspicious to wear it.
बाजूबंद - कड़े के समान आकृति वाला यह आभूषण सोने या चांदी का होता है। यह बांहों में पूरी तरह कसा रहता है, इसी कारण इसे बाजूबंद कहा जाता है। किसी भी त्योहार या धार्मिक आयोजन पर सुहागन स्त्रियों का इसे पहनना शुभ माना जाता है।
12.Ring:- Bride before the wedding ceremony engagement ring puts one another. It is a very ancient tradition. Ring between the ages of husband and wife is considered a symbol of love and trust. After marriage is considered a symbol of feminine Shubta be wearing it.
अंगूठी - शादी के पहले सगाई की रस्म में वर-वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं। यह बहुत प्राचीन परंपरा है। अंगूठी को सदियों से पति-पत्नी के आपसी प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता रहा है। शादी के बाद भी स्त्री का इसे पहने रहना शुभता का प्रतीक माना जाता है।
13.Waistband:- Jewelry waistband is worn at the waist, the women wear after marriage. It appears his slim physique and also attractive. The belt symbolizes the fact that the woman is the mistress of his house. On the auspicious occasion of the house woman wearing a waistband, then it is considered a form of Lakshmi.
कमरबंद - कमरबंद कमर में पहना जाने वाला आभूषण है, जिसे स्त्रियां विवाह के बाद पहनती है। इससे उनकी छरहरी काया और भी आकर्षक दिखाई देती है। कमरबंद इस बात का प्रतीक कि स्त्री अपने घर की स्वामिनी है। किसी भी शुभ अवसर पर यदि घर की स्त्री कमरबंद पहने तो उसे लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।
14.Vermilion - Vermilion is considered a symbol of the wedding. After seven rounds of the bride and the groom fills demand means that she will play her lifetime. Therefore, the longevity of their husbands after marriage bride wish to fill with the everyday demands.
सिंदूर - सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। सात फेरों के बाद जब दूल्हा-दुल्हन की मांग भरता है तो इसका मतलब होता है कि वह उसका साथ जीवन भर निभाएगा। इसलिए विवाह के बाद स्त्री को अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ रोज मांग भरना चाहिए।
15.Nettle:- Toes in the jewelery worn like a ring or thumb called the Arsi. In addition to the jewelery three fingers except the little finger nettle wears women. Nettle woman is considered a symbol of good luck.
बिछुआ - पैरों के अंगूठे में रिंग की तरह पहने जाने वाले इस आभूषण को अरसी या अंगूठा कहा जाता है। इस आभूषण के अलावा स्त्रियां छोटी उंगली को छोड़कर तीनों उंगलियों में बिछुआ पहनती है। बिछुआ स्त्री के सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
16-Anklets: Gungruon worn on the feet to the melodious sound of jewelery is considered very auspicious. Blessed course every woman should wear anklets in legs.
पायल- पैरों में पहने जाने वाले इस आभूषण के घुंघरुओं की सुमधुर ध्वनि को बहुत शुभ माना जाता है। हर सौभाग्यवती स्त्री को पैरों में पायल जरूर पहनना चाहिए।

Importance of Sharad Purnima

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sharad purnima
Kojagr full moon today,this method will be happy Godess Lakshmi

Sharad Purnima

Today (October 7, Tuesday) Sharad Purnima, the full moon religion Kojagr it is also stated in the scriptures.पुराणों के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को भगवती महालक्ष्मी रात्रि में यह देखने के लिए घूमती हैं कि कौन जाग रहा है और जो जाग रहा है महालक्ष्मी उसका कल्याण करती हैं तथा जो सो रहा होता है वहां महालक्ष्मी नहीं ठहरती। The Jagrthy of Lakshmi (who is awake?) Say the name of the fast Kojagr had lent. Fasting on this day to worship Goddess Lakshmi legislation. According to staff mentioned in religious texts

Mantra of godess laxmi

निशीथे वरदा लक्ष्मी: को जागर्तिति भाषिणी। जगाति भ्रमते तस्यां लोकचेष्टावलोकिनी।। तस्मै वित्तं प्रयच्छामि यो जागर्ति महीतले।।

Story behind Sharad Purnima

Indra the elephant sat on this fast and should keep fasting and worship of Mahalaxmi. Night time light a lamp and the smell of melted butter, floral etc. render all possible a hundred or more lamps ignited Dev venerable temples, gardens, basil or buildings must take down. Brahmins worship Indra bath at dawn and sweet butter-sugar mixed alms of food, textiles and gold lamps off and all wishes are fulfilled.
Srisukt this day, Lakshmi hymnal Kmlgtta making by text Brahmin, Bell should have a gift or metric by Pancmewa or pudding. Fasting Kojagr this method are very happy Mother Lakshmi and money-grains, etc. All amenities provide value-reputation.
इस व्रत में हाथी पर बैठे इंद्र और महालक्ष्मी का पूजन करके उपवास रखना चाहिए। रात के समय घी का दिया जलाकर और गंध, पुष्प आदि से पूजित एक सौ या यथाशक्ति अधिक दीपकों को प्रज्वलित कर देव मंदिरों, बाग-बगीचों, तुलसी के नीचे या भवनों में रखना चाहिए। सुबह होने पर स्नानादि करके इंद्र का पूजन कर ब्राह्मणों को घी-शक्कर मिश्रित खीर का भोजन कराकर वस्त्रादि की दक्षिणा और सोने के दीपक देने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन श्रीसूक्त, लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ ब्राह्मण द्वारा कराकर कमलगट्टा, बेल या पंचमेवा अथवा खीर द्वारा दशांश हवन करवाना चाहिए। इस विधि से कोजागर व्रत करने से माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं तथा धन-धान्य, मान-प्रतिष्ठा आदि सभी सुख प्रदान करती हैं।
Magadha country, a gentle fold at any time, but there was a poor Brahmin. The gentleman and his wife were just as wicked Brahmin. He rose from the poverty of Brahmins used to taunt her. Even though the whole village used to condemn her husband. Unlike the conduct of the husband she had made their religion. Even in want of money to steal the day her husband was provoked. At a memorial service held in veneration by the wife of Brahmin took the bodies thrown into the well. From this act of wife sad Brahmin and went into the woods, where he found the snake girls. That was the full moon day of Ashwin month. Nagknyaon night awakening to the Brahmin asked to vow Kojagr ravishing Lakshmi. Kojagr Brahmin ritual fast delivery. Atul near this fast wealth effect was Brahmin. By the grace of Goddess Lakshmi was serene wisdom of his wife and the couple lived happily.
किसी समय मगध देश में वलित नामक एक संस्कारी, लेकिन दरिद्र ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण जितना सज्जन था उसकी पत्नी उतनी ही दुष्ट थी। वह ब्राह्मण की दरिद्रता को लेकर रोज उसे ताने देती थी। यहां तक की पूरे गांव में भी वह अपने पति की निंदा ही किया करती थी। पति के विपरीत आचरण करना ही उसने अपने धर्म बना लिया था। यहां तक कि धन की चाह में वह रोज अपने पति को चोरी करने के लिए उकसाया करती थी। एक बार श्राद्ध के समय ब्राह्मण की पत्नी ने पूजन में रखे सभी पिण्डों को उठाकर कुएं में फेंक दिया। पत्नी की इस हरकत से दु:खी होकर ब्राह्मण जंगल में चला गया, जहां उसे नाग कन्याएं मिलीं। उस दिन आश्विन मास की पूर्णिमा थी। नागकन्याओं ने ब्राह्मण को रात्रि जागरण कर लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाला कोजागर व्रत करने को कहा। ब्राह्मण ने विधि-विधान पूर्वक कोजागर व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से ब्राह्मण के पास अतुल धन-सम्पत्ति हो गई। भगवती लक्ष्मी की कृपा से उसकी पत्नी की बुद्धि भी निर्मल हो गई और वे दंपत्ति सुखपूर्वक रहने लगे।